ऊँचा नहीं है आसमां उनके वास्ते,
बिन पंख भी जो उड़ने की चाहत सजाते हैं.
उनके दामन में खिल जाती हैं कलियाँ ,
जो किसी की राहों से कांटे छाँट लाते हैं.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
Thursday, November 25, 2010
Wednesday, October 27, 2010
इबादत से अनजान था मै
"तेरी करम हुई या सितम मुझ पर,
इबादत से अनजान था मै,
खुदा से रंजिश रखनेवाले को ,
फकीर कर डाला ".
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "
इबादत से अनजान था मै,
खुदा से रंजिश रखनेवाले को ,
फकीर कर डाला ".
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "
Sunday, October 24, 2010
इतना आसां नहीं घर का बन पाना
ईंट पत्थरो से मकान बना करते हैं ,
इतना आसां नहीं घर का बन पाना,
वो तो रहनेवालो के ज़ज्बातों से बनता है.
"रजनी "
इतना आसां नहीं घर का बन पाना,
वो तो रहनेवालो के ज़ज्बातों से बनता है.
"रजनी "
Wednesday, October 20, 2010
भूलने में मुझे जमाने लग जायेंगे
भूलने में मुझे जमाने लग जायेंगे,
चाहो तो आजमा कर देख लो.
आपके घर के हर ईट में बस गयी,
चाहो तो ईंटों से बुलवा कर देख लो.
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर"
चाहो तो आजमा कर देख लो.
आपके घर के हर ईट में बस गयी,
चाहो तो ईंटों से बुलवा कर देख लो.
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर"
Wednesday, October 13, 2010
नहीं लिख पाएंगे दास्ताँ अपनी और हम
कैसे दुहरायें अब वो बीता दौर हम,नहीं लिख पाएंगे दास्ताँ अपनी और हम,
जब भी शुरू किया तुझे लाना पन्नो में,कभी हाथों ने,कभी आँखों ने साथ छोड़ दिया.
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर".
जब भी शुरू किया तुझे लाना पन्नो में,कभी हाथों ने,कभी आँखों ने साथ छोड़ दिया.
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर".
Tuesday, October 12, 2010
परछाइयों से वफ़ा करता है वो
"परछाइयों से वफ़ा करता है वो,जो साथ ही नहीं, ये बात उसे समझाए कौन,
एक शुकून होगा उसे,मुझे भूल जाने में, पर भूल से अपनी सांसे छुड़ाए कौन."
रजनी नैय्यर मल्होत्रा
एक शुकून होगा उसे,मुझे भूल जाने में, पर भूल से अपनी सांसे छुड़ाए कौन."
रजनी नैय्यर मल्होत्रा
Saturday, October 2, 2010
पलकें भिगाई है मैंने आज फिजाओं की
" पलकें भिगाई है मैंने आज फिजाओं की , ख़ुद देर तलक रोने के बाद,
नफ़स(आत्मा) ना निकले कभी जिस्म से ,हर दुआ में थी यही फरियाद ."
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर"
नफ़स(आत्मा) ना निकले कभी जिस्म से ,हर दुआ में थी यही फरियाद ."
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर"
Wednesday, September 29, 2010
धूल ना जाऊं वक़्त के पानी से
"काजल बन कर रह जाऊंगा आँखों में तेरे,
बस डर है धूल ना जाऊं वक़्त के पानी से. "
बस
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
वो हर सफ़र में साथ है फिर भी साथ नहीं
"वो हर सफ़र में साथ है फिर भी साथ नहीं,
सफ़र तय किया है,पर मेरा हमसफ़र नहीं ".
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
सफ़र तय किया है,पर मेरा हमसफ़र नहीं ".
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
कितना मुश्किल होता है ख़ुद में ख़ुद को ढूँढना
"कितना मुश्किल होता है ख़ुद में ख़ुद को ढूँढना,
और कोई एक पल में हर राज़ जान लेता है ".
और कोई एक पल में हर राज़ जान लेता है ".
Tuesday, September 21, 2010
तू तो बंध गया है, मेरी सांसों की जंजीर में
"लिख दिया है नसीब मेरा,
तेरे ही तहरीर में,
हर लम्हा हैं तू ,
मेरे ताबीर में,
भूल से भी कैसे भूल जाऊं मैं,
तू तो बंध गया है,
मेरी सांसों की जंजीर में."
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
तेरे ही तहरीर में,
हर लम्हा हैं तू ,
मेरे ताबीर में,
भूल से भी कैसे भूल जाऊं मैं,
तू तो बंध गया है,
मेरी सांसों की जंजीर में."
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
Tuesday, September 14, 2010
मसीहा बन कर मेरा ज़ख़्म ,और भी गहरा कर गए
"ज़ख़्म हरा मेरा देख कर ,वो लाये मरहम साथ,
मसीहा बन कर मेरा ज़ख़्म ,और भी गहरा कर गए. "
"रजनी नैय्यर malhotra"
मसीहा बन कर मेरा ज़ख़्म ,और भी गहरा कर गए. "
"रजनी नैय्यर malhotra"
Thursday, September 9, 2010
दिल में बसे हैं वहाँ से कैसे जायेंगे
"मेरा शहर छोड़ जाने की बात करते हैं वो,
दिल में बसे हैं वहाँ से कैसे जायेंगे.
लगी ठोकर मुझे, बिखर जाउंगी ,
कहते हैं शीशा ,फिर ठोकर कैसे लगायेंगे.
दिल में बसे हैं वहाँ से कैसे जायेंगे.
लगी ठोकर मुझे, बिखर जाउंगी ,
कहते हैं शीशा ,फिर ठोकर कैसे लगायेंगे.
Saturday, August 28, 2010
चांदनी बनी स्याह रात
"चांदनी बनी स्याह रात, रह गई अधूरी रजनी" हर बात,
छूटा कस्ती साहिल का साथ,बन गया बादिया ,यहाँ फसल-ए -गूल."
छूटा कस्ती साहिल का साथ,बन गया बादिया ,यहाँ फसल-ए -गूल."
Tuesday, July 27, 2010
रोक मेरे ख्वाब में तेरा आना
नहीं सह पाएंगे,अब तेरे ख्वाब के भार, मेरे कमजोर नैन ."
दर्द से ही, पी गए,
"दर्द में,
दर्द को ,
दर्द से ही,
पी गए,
जो पी गए ,
दर्द को ,
वो दर्द में भी ,
जी गए. "
दर्द को ,
दर्द से ही,
पी गए,
जो पी गए ,
दर्द को ,
वो दर्द में भी ,
जी गए. "
Saturday, July 24, 2010
जब आ जाये अहंम कामयाबी के रास्ते
जब आ जाये अहं कामयाबी के रास्ते,
कुछ नहीं बच पाता फिर संवरने के वास्ते.
कुछ नहीं बच पाता फिर संवरने के वास्ते.
आज मिटटी सा बिखर गए हम तुम्हें पाने के बाद
जब ख्वाब सजाये थे तुम्हें पाने के,अरमान मेरे संवरे से थे,
आज मिटटी सा बिखर गए हम "रजनी ' तुम्हें पाने के बाद .
"रजनी '
आज मिटटी सा बिखर गए हम "रजनी ' तुम्हें पाने के बाद .
"रजनी '
Thursday, July 22, 2010
पर मुझे देने के लिए, उसके पास खैरात नहीं
वो खुदा है सबके लिए,
सबका है मसीहा,
पर मुझे देने के लिए,
उसके पास खैरात नहीं.
सबका है मसीहा,
पर मुझे देने के लिए,
उसके पास खैरात नहीं.
Saturday, July 10, 2010
कोई बेगुनाही का सबूत ला पाता नहीं
shayri .............
"मेरे मन के मोम को न देखा किसी ने,
शायद,तभी तो ,इस पत्थर को झरना बना दिया "
**********************************
किसी के भोली सूरत पर ना मरना,
अक्सर सबब बन जाते हैं यही बर्बादी के .
*****************************
जिनकी हरख़ुशी मांगी मैंने हर दुआ में,
उन्होंने कज़ा की फरमान सुना दी,
दुआ भी माँगा मेरे लिए तो कब ,
जब मै आखिरी सांसे ले रहा था.
*********************
क़त्ल करके छूट जाता है आसानी से कोई ,
कोई बेगुनाही का सबूत ला पाता नहीं ,"
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
"मेरे मन के मोम को न देखा किसी ने,
शायद,तभी तो ,इस पत्थर को झरना बना दिया "
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किसी के भोली सूरत पर ना मरना,
अक्सर सबब बन जाते हैं यही बर्बादी के .
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जिनकी हरख़ुशी मांगी मैंने हर दुआ में,
उन्होंने कज़ा की फरमान सुना दी,
दुआ भी माँगा मेरे लिए तो कब ,
जब मै आखिरी सांसे ले रहा था.
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क़त्ल करके छूट जाता है आसानी से कोई ,
कोई बेगुनाही का सबूत ला पाता नहीं ,"
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
Sunday, July 4, 2010
कोई वादों की डोर से ,बंध कर टूट जाता है
तोड़ जाता है कोई ,वादों की डोर को,
कोई वादों की डोर से ,बंध कर टूट जाता है.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
कोई वादों की डोर से ,बंध कर टूट जाता है.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
Monday, June 28, 2010
जोड़ने में मुझे, टूटता नहीं
बिखर कर भी हम ,
हर रोज़ सँवर जाते हैं,
करम है सांचे की ,
जो जोड़ने में मुझे, टूटता नहीं .
हर रोज़ सँवर जाते हैं,
करम है सांचे की ,
जो जोड़ने में मुझे, टूटता नहीं .
ये आइना भी
कुछ मेरे मन के दर्पण से ........
अब तो खुद पे ,इतराना भी नहीं आता हमें ,
शायद ये आइना भी ,आपका दीवाना हो गया.
अब तो खुद पे ,इतराना भी नहीं आता हमें ,
शायद ये आइना भी ,आपका दीवाना हो गया.
Sunday, April 11, 2010
कितना सव्छ्न्द है ये सपना
कितना सव्छ्न्द है ये सपना ,
किसी भी पलकों पर अपना घर बना लेता है,
मिले ना मिले मंजिल ,
बस कर आबाद से निगाहों में फ़ना बना देता है .
किसी भी पलकों पर अपना घर बना लेता है,
मिले ना मिले मंजिल ,
बस कर आबाद से निगाहों में फ़ना बना देता है .
कितना सव्छ्न्द है ये सपना
कितना सव्छ्न्द है ये सपना ,
किसी भी पलकों पर अपना घर बना लेता है,
मिले ना मिले मंजिल ,
बस कर आबाद से निगाहों में फ़ना बना देता है .
किसी भी पलकों पर अपना घर बना लेता है,
मिले ना मिले मंजिल ,
बस कर आबाद से निगाहों में फ़ना बना देता है .
Saturday, April 10, 2010
डर गया दिल तेरे मेरे रुसवाई के डर से
आज के हालत का इम्तिहान दे सकती थी,
दिल के ज़ज्बात क्या जान दे सकती थी,
डर गया दिल तेरे मेरे रुसवाई के डर से,
वरना हर शायरी में तेरा नाम दे सकती थी.
दिल के ज़ज्बात क्या जान दे सकती थी,
डर गया दिल तेरे मेरे रुसवाई के डर से,
वरना हर शायरी में तेरा नाम दे सकती थी.
रजनी की कलम से .शेर शायरी.......gambhir
"भीगी है अब तलक मेरी कब्र की दीवारें,
लगता है अभी अभी कोई रो कर गया है "
*******************************
"हम जानते हैं सबको जन्नत नहीं मिलता,
पर ख्वाब सजाना "रजनी "कोई गुनाह तो नहीं."
*******************************
"लिख देते हम भी अफसाना जो बन जाता इतिहास
अफ़सोस कोई पत्तःर ही नहीं आया मेरे हाथ."
********************************
"भीगी है अब तलक मेरी कब्र की दीवारें,
लगता है अभी अभी कोई रो कर गया है "
*******************************
"हम जानते हैं सबको जन्नत नहीं मिलता,
पर ख्वाब सजाना "रजनी "कोई गुनाह तो नहीं."
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"लिख देते हम भी अफसाना जो बन जाता इतिहास
अफ़सोस कोई पत्तःर ही नहीं आया मेरे हाथ."
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Wednesday, March 31, 2010
रजनी के कलम से कुछ हास्य से भरे शेर....... .
अर्ज़ किया है ..........
निकले थे हम भी लाने को आसमान से चाँद तारे.
निकले थे हम भी आसमान से लाने को चाँद तारे.
पर क्या करूँ किसी ने सीढ़ी ही खीच लिए....
**************************************
आप अपने जीवन में इतने आगे जाओ कि लोग कहें हर समय आपसे..............
जाओ बाबा और आगे जाओ, जाओ बाबा और आगे जाओ.........
क्योंकि मेरे पास छुट्टे पैसे जो नहीं .
******************************
तेरे खुबसूरत से चेहरे को देख मेरा रोम रोम मुस्काया.
तेरे खुबसूरत से चेहरे को देख मेरा रोम रोम मुस्काया.
इतना प्यार आया जब चेहरे पे हाथ फिराया.....
दो किलो fair & lovely पाया .....
*****************************************
तेरे चेहरे में वो जादू है बिन डोर बंधा आता हूँ,
जाना होता है और कहीं तेरी ओर चला आता हूँ.......
ये चमकता हुआ चेहरा मोती समान है,
ये चमकता हुआ चेहरा मोती समान है...
अरे भाई मोती मेरे कुत्ते का नाम है.........
*****************************************
निकले थे हम भी लाने को आसमान से चाँद तारे.
निकले थे हम भी आसमान से लाने को चाँद तारे.
पर क्या करूँ किसी ने सीढ़ी ही खीच लिए....
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आप अपने जीवन में इतने आगे जाओ कि लोग कहें हर समय आपसे..............
जाओ बाबा और आगे जाओ, जाओ बाबा और आगे जाओ.........
क्योंकि मेरे पास छुट्टे पैसे जो नहीं .
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तेरे खुबसूरत से चेहरे को देख मेरा रोम रोम मुस्काया.
तेरे खुबसूरत से चेहरे को देख मेरा रोम रोम मुस्काया.
इतना प्यार आया जब चेहरे पे हाथ फिराया.....
दो किलो fair & lovely पाया .....
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तेरे चेहरे में वो जादू है बिन डोर बंधा आता हूँ,
जाना होता है और कहीं तेरी ओर चला आता हूँ.......
ये चमकता हुआ चेहरा मोती समान है,
ये चमकता हुआ चेहरा मोती समान है...
अरे भाई मोती मेरे कुत्ते का नाम है.........
*****************************************
Tuesday, March 30, 2010
रजनी की कलम से .शेर शायरी.......
रजनी की कलम से .शेर शायरी.......
"भीगी है अब तलक मेरी कब्र की दीवारें,
लगता है अभी अभी कोई रो कर गया है "
**************************
"हम जानते हैं सबको जन्नत नहीं मिलता,
पर ख्वाब सजाना "रजनी "कोई गुनाह तो नहीं."
****************************
"कुछ कह गयी ये भीगी सी पवन मेरे कानों में,
अब तो हर रंजो गमों से अनजान हैं"
*****************************
गीला क्या करते वो हमसे ,
जिसने पल में खुद को,
बेगाना बना दिया,
वादा लिए फिरते थे वफाई का हमसे,
खुद बेवफाई से सिला दिया.
***********************
"अपने को छोड़ आई हूँ मै तुम्हारे पास,
अच्छा होता तुम खुद ही मुझे लौटा दो"
*********************************
"छोड़ दिया मझधार में आ कर हमने भी हाथ,
क्योंकि तमन्ना मुझे बचने से ज्यादा डूबने की थी."
***************************************
"लिख देते हम भी अफसाना जो बन जाता इतिहास
अफ़सोस कोई पत्तःर ही नहीं आया मेरे हाथ."
************************************
वो हर बाज़ी हमसे हारते गए,
मैंने अपनी जीत को जाहिर ना किया,
क्योंकि उसके टूटने का डर था हमें.
*********************************
क्या पाता है तू घर फूंक कर किसी का,
किसी के घर का चिराग बन कर देख.
*****************************
"मेरे मुकद्दर का लेख ,है यदि जंजीर,
जो बदल जाएगी ,तो तू इसे तोड़ के बता "
*********************************
मुनासिब नहीं सबको सागर मिले एक कतरा ही काफी है पीने के लिए,
पास हो चांदनी ये संभव नहीं उसकी रौशनी ही काफी है जीने के लिए.
*******************************************************
रूह में गहराइयों तक उतरती है कलाम ,
जब छूती है बिल्कुल पास से दिल को,
हर कलाम नहीं होता असर छोड़नेवाला,
कुछ खास होते हैं जो छाप छोड़ जाते हैं..
"भीगी है अब तलक मेरी कब्र की दीवारें,
लगता है अभी अभी कोई रो कर गया है "
**************************
"हम जानते हैं सबको जन्नत नहीं मिलता,
पर ख्वाब सजाना "रजनी "कोई गुनाह तो नहीं."
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"कुछ कह गयी ये भीगी सी पवन मेरे कानों में,
अब तो हर रंजो गमों से अनजान हैं"
*****************************
गीला क्या करते वो हमसे ,
जिसने पल में खुद को,
बेगाना बना दिया,
वादा लिए फिरते थे वफाई का हमसे,
खुद बेवफाई से सिला दिया.
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"अपने को छोड़ आई हूँ मै तुम्हारे पास,
अच्छा होता तुम खुद ही मुझे लौटा दो"
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"छोड़ दिया मझधार में आ कर हमने भी हाथ,
क्योंकि तमन्ना मुझे बचने से ज्यादा डूबने की थी."
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"लिख देते हम भी अफसाना जो बन जाता इतिहास
अफ़सोस कोई पत्तःर ही नहीं आया मेरे हाथ."
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वो हर बाज़ी हमसे हारते गए,
मैंने अपनी जीत को जाहिर ना किया,
क्योंकि उसके टूटने का डर था हमें.
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क्या पाता है तू घर फूंक कर किसी का,
किसी के घर का चिराग बन कर देख.
*****************************
"मेरे मुकद्दर का लेख ,है यदि जंजीर,
जो बदल जाएगी ,तो तू इसे तोड़ के बता "
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मुनासिब नहीं सबको सागर मिले एक कतरा ही काफी है पीने के लिए,
पास हो चांदनी ये संभव नहीं उसकी रौशनी ही काफी है जीने के लिए.
*******************************************************
रूह में गहराइयों तक उतरती है कलाम ,
जब छूती है बिल्कुल पास से दिल को,
हर कलाम नहीं होता असर छोड़नेवाला,
कुछ खास होते हैं जो छाप छोड़ जाते हैं..
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