Sunday, December 11, 2011

ये इनाम कैसा जो सजा बन गई

मेरी खामोशियाँ ही सदा बन गयी,बेचैनियाँ जीने की वजा बन गयी,
दी  कैसी तुने  सौगात या  खुदा, ये  इनाम कैसा जो सजा बन गयी .

"रजनी "

Monday, September 19, 2011

मै वो गरीब हूँ

चंद क्षण भी ना मांगना तेरे दिए गए प्यार से ,
सूदखोर साहूकार जैसे ब्याज मांगता है ,
मै वो गरीब हूँ,
जिसके पास तेरा दिया ,
मूल भी कम है, ब्याज कैसे दूँ मै.

रजनी"

Thursday, September 8, 2011

जो कभी अपना था आज गैर है ,रह गए सुनकर अवाक् उस आवाज़ को क्या कहें तुम कहें कि आप ,
जो सिला बने थे आज वो घूलघूल कर टूट गए कानों में ,जब गूंज उठी आवाज़ कोई मंदिर की घंटियों जैसी ""रजनी"

Tuesday, September 6, 2011

ये भ्रम है चाँद को

देख कर बावलापन चकोर का ,
ये भ्रम है चाँद को,
कोई ज़माने में नही हंसी उसजैसा,
जब उसे अपने दाग नज़र आयेंगे,
वो ख़ुद पर शर्मिंदा तो होगा.

"रजनी"

Friday, September 2, 2011

पानी से भी सस्ता लहू था मेरा

पानी से भी सस्ता लहू था मेरा ,वो कतरा कतरा कर बहाते गए. "रजनी"

Friday, August 19, 2011

वो गूल कभी जो गुलशन में ,खिल खिल कर मुस्काते थे

" वो गूल कभी जो गुलशन में ,खिल खिल कर मुस्काते थे,
आज ख़ुद के कुचले जाने पर ,वो रह मौन अश्क बहाते हैं .

आज भूल गया उसका माली जो जीवनभर का रखवाला था ,
हाय कैसी पीड़ा को गुलों ने,ये अपने अंदर पाला था.
"रजनी "

Saturday, July 9, 2011

मंजिल मिले ना मरघट का पता

हमसे ना पूछो इस राह को क्या कहते हैं,

मंजिल मिले ना मरघट का पता,जो इस राह में रहते हैं,

मालूम है बस,इश्क में जिस्म से जान जुदा कर जीना कहते हैं.



'रजनी'

Friday, July 8, 2011

कुसूर देनेवाले या दामन को देते हैं

ना मिल पाए मुराद मनचाही , कुसूर देनेवाले या दामन को देते हैं,
अपनी इबादत में ही कोई कमी होगी, ये तोहमत क्यों ख़ुद पर ना लेते हैं . 

Thursday, July 7, 2011

ना सजाना कभी हार फूलों के

ना सजाना कभी हार फूलों के ,दिले दरों दीवार पर लगी तस्वीर में,
मै तो मर कर भी जिंदा रहूँगा सदा ,  तेरे तरीन ताबीर में.  "रजनी "

Wednesday, June 22, 2011

खामोश लबों को जुबान दे दी, मचलते निगाहों को उफान दे दी.

खामोश लबों को जुबान दे दी, मचलते निगाहों को उफान दे दी.
पत्थराई चेहरे को मुस्कान दे दी, कटे परों को उड़ान दे दी.
जिसने भी माँगा भरपूर उसे दिया,अपनी खुशियों की जहान दे दी.

Monday, May 30, 2011

याद रह जायेंगे तेरे काँटों वाले हाँथ


"भर जायेंगे ज़ख्म भी वक़्त के साथ,
याद रह जायेंगे तेरे काँटों वाले हाथ,
जिसने रह रह कर मेरे जख्मों पर चुभाये हैं."

Sunday, May 22, 2011

अश्क निशानी

"हथेली पर मेरी छोड़ गए,कुछ बूंद वो अश्क निशानी,
अश्कों से ही तो बनी थी,अपनी उनकी कहानी.

"रजनी "

Friday, April 29, 2011

तुम्हारा स्पर्श पाकर , रौशनी और भी चमकीली हो गयी है.

आज भी यादें देती है पहरा,
जो साँझ के आगोश में ,
बीते थे साथ ,

वो पहली किरण के हाथों,
तेरा सन्देशा लाना,
और ये कहना ,

तुम्हारा स्पर्श पाकर ,
रौशनी और भी
चमकीली हो गयी है.

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"

Thursday, February 17, 2011

इस कदर चाहो उसे

" इतनी सिद्दत से मांगो उसे ,हर दुआ में कबूल हो ,
 इबादत हो ऐसा ,जहाँ इनकार की ना गुंजाइश हो.

" प्यार मांगने से नहीं मिलता  किसी को इस जहाँ में,
 इस कदर चाहो उसे ,वो ख़ुद तड़प कर मिलने आ जाये. "


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"नादाँ हैं वो लोग जो कहते हैं मेरा प्यार मुझसे रूठ गया है उससे मिलवा दो ...
यदि आपका प्रेम सच्चा है तो आपके साथी को आपकी कद्र जरुर होगी देर से ही सही, मिलेगा जरुर ".

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"