आज भी यादें देती है पहरा,
जो साँझ के आगोश में ,
बीते थे साथ ,
वो पहली किरण के हाथों,
तेरा सन्देशा लाना,
और ये कहना ,
तुम्हारा स्पर्श पाकर ,
रौशनी और भी
चमकीली हो गयी है.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
जो साँझ के आगोश में ,
बीते थे साथ ,
वो पहली किरण के हाथों,
तेरा सन्देशा लाना,
और ये कहना ,
तुम्हारा स्पर्श पाकर ,
रौशनी और भी
चमकीली हो गयी है.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"