Sunday, December 11, 2011

ये इनाम कैसा जो सजा बन गई

मेरी खामोशियाँ ही सदा बन गयी,बेचैनियाँ जीने की वजा बन गयी,
दी  कैसी तुने  सौगात या  खुदा, ये  इनाम कैसा जो सजा बन गयी .

"रजनी "