" रुक गया सैलाब का पानी ,हवा के एक झोंका से,
"रजनी" तेरे शहर का हाल क्या है लहरों से बयाँ है "
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चौंक कर लगा जागने , बूढ़ा ख़्वाब हर आहट में ,
नींद से यूँ जागना , जीने को ये मर्ज़ भी अच्छा है
"रजनी" तेरे शहर का हाल क्या है लहरों से बयाँ है "
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चौंक कर लगा जागने , बूढ़ा ख़्वाब हर आहट में ,
नींद से यूँ जागना , जीने को ये मर्ज़ भी अच्छा है